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हिंदी दिवस की कविताएं


कविता--मानव जीवन

बुद्धि विवेक तपज्ञान
जप से दूर करो अज्ञान
जन्म जन्मांतर से मुक्ति दिलाये
इसी धरा पर ज्ञान पाये
अपने कर्मों से करो प्रबलित
सद्गुरु हों अवतरित
देंगे ज्ञान तनमनधन हो जाएंगे निर्मल
तबहीं मुक्ति मिलेगी आत्मा बन जाएगी सबल
मानवजीवन का यही है मूल
भौतिकता में बह,न जाना सब भूल।

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सीमा..✍️🌷
©®
#लेखनी हिंदी दिवस प्रतियोगिता

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10 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन

Reply

Swati chourasia

20-Sep-2022 07:59 PM

बहुत खूब 👌

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Kavita Jha

18-Sep-2022 08:49 AM

वाह 👌👌

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